🏥 अम्बेडकर अस्पताल में दुनिया का दुर्लभ चमत्कार
सेकेंडरी एब्डोमिनल प्रेग्नेंसी का सफल ऑपरेशन — माँ और शिशु दोनों सुरक्षित
छत्तीसगढ़ में पहली बार, विश्व स्तर पर भी बेहद दुर्लभ मामला
रायपुर। डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय, रायपुर की चिकित्सक टीम ने चिकित्सा इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ते हुए सेकेंडरी एब्डोमिनल प्रेग्नेंसी (पेट में विकसित गर्भ) का सफल ऑपरेशन किया। इसमें माँ और शिशु दोनों पूर्णतः स्वस्थ हैं।
यह न केवल मध्य भारत का पहला बल्कि दुनिया के अत्यंत दुर्लभ मामलों में से एक है।
40 वर्षीय गर्भवती महिला पहले इमर्जेंसी एंजियोप्लास्टी से बचाई गई थीं और बाद में नौ माह के जीवित भ्रूण को गर्भाशय से बाहर पेट में विकसित अवस्था में सुरक्षित निकालकर डिलीवरी की गई — ऐसा उदाहरण विश्व मेडिकल लिटरेचर में अब तक दर्ज नहीं है।
👩⚕️ दो बार मिला जीवनदान
गर्भावस्था के चौथे महीने में महिला को हार्ट अटैक के बाद इमर्जेंसी एंजियोप्लास्टी करनी पड़ी। डॉक्टरों ने अत्यधिक सावधानी बरती ताकि गर्भस्थ शिशु को नुकसान न पहुँचे। बाद में 37वें हफ्ते में डिलीवरी के समय पता चला कि भ्रूण गर्भाशय में नहीं बल्कि एब्डोमिनल कैविटी में विकसित हो रहा था।
बहु-विषयक विशेषज्ञ टीम ने जटिल ऑपरेशन में माँ और बच्चे दोनों को जीवनदान दिया।
👨⚕️ डॉक्टरों की टीम
इस अभूतपूर्व सफलता में डॉ. ज्योति जायसवाल, डॉ. रुचि किशोर गुप्ता, डॉ. सुमा एक्का, डॉ. नीलम सिंह, डॉ. रुमी, डॉ. अमित अग्रवाल (सर्जरी), डॉ. शशांक और डॉ. अमृता (एनेस्थीसिया) की टीम शामिल रही।
ऑपरेशन के बाद कार्डियोलॉजी और मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञों ने भी निरंतर देखरेख की।
🩺 विशेषज्ञों की राय
डॉ. ज्योति जायसवाल ने बताया —
“सेकेंडरी एब्डोमिनल प्रेग्नेंसी अत्यंत खतरनाक स्थिति होती है। सामान्यतः भ्रूण जीवित नहीं रह पाते, लेकिन यहाँ माँ और बच्चा दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं। यह हमारे लिए गर्व का विषय है।”
👏 संस्थान की सराहना
पं. नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. विवेक चौधरी और अम्बेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने टीम की इस उपलब्धि को ‘चिकित्सा सेवा की मिसाल’ बताया और सभी चिकित्सकों को बधाई दी।

